7Best Hindi Motivational Stories - प्रेरणादायक कहानियां

 7 Best Hindi motivational stories - प्रेरणादायक कहानियां


  
मोटिवेशनल कहानियां



       1. बोले हुए शब्द वापस नहीं आते

एक बार एक किसान ने अपने पड़ोसी को भला-बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया। उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा।

संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया।

तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”

किसान वापस गया पर तब  तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है:

कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है।

जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है। खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए।


                 2. बुढ़िया की सुई

एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपड़ी के बाहर कुछ खोज रही थी। तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?” , व्यक्ति ने पूछा.

” कुछ नहीं मेरी सुई गुम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ .”, बुढ़िया ने उत्तर दिया।

कहाँ है सुई ?

फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करने के लिए रुक गया और साथ में सुई खोजने लगा। कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल हो गए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया।

सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,” अरे अम्मा ! ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?”

” बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया .

ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , ” कमाल करती हो अम्मा, हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी, आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?”

” क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली.

मित्रों, शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है?  हमारी सुई कहाँ गिरी है? हमें चाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .


          3. कैसे लोगों पर भरोसा करे

गुरुकुल में शिष्यों की शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी और आज उनका आखिरी दिन था। गुरुकुल की परम्परा के अनुसार गुरूजी अपने शिष्यों को आखिरी उपदेश देने की तैयारी कर रहे थे। जब सारे शिष्य गुरुकुल के मुख्य कक्ष में इक्कठे हो गये तो गुरूजी ने अपना उपदेश देना शुरू किया। उनके हाथ में लकड़ी के कुछ खिलौने थे। उन्होंने शिष्यों को वो खिलौने दिखाते हुए बोले “मेरे हाथ में जो ये खिलौने है आपको इन तीनो में से अंतर खोजना है ” गुरूजी की आज्ञा पाकर शिष्य बड़े ध्यान से खिलौनों को देखने लगे। वो तीनो लकड़ी के बने हुए खिलौने थे बिलकुल एक सामान दिखने वाले गुड्डे थे। जिनमे अंतर खोजना बहुत मुश्किल था।  

तभी एक शिष्य ने एक गुड्डे को परखते हुए कहा “अरे ये देखो इसके कान में छेद है।” यह संकेत काफी था इतने में सारे शिष्यों ने एक एक करके उन तीनो में अंतर खोज लिया। तो उन सब ने गुरूजी से बोला कि गुरूजी इस गुड्डो में बस यही एक अंतर है एक के कानों में छेद है। एक के मुहं में और एक कान में छेद है और एक के केवल एक कान में छेद है।

उनका जवाब सुनकर गुरूजी बोले बिलकुल सही कहा अब गुरूजी ने शिष्यों को धातू का एक पतला तार देते हुए उसे गुड्डो के कान में डालने को कहा। शिष्यों ने वैसा ही किया तो क्या देखते है एक गुड्डे के कान से होते हुए वो तार दूसरे कान से निकल गया। एक और गुड्डे के कान से होकर वो तार मुहं से निकल गया।जबकि एक के कान में तार डालने पर वो कंही से नहीं निकला।

इस पर गुरूजी ने उन्हें समझाया कि देखो इसी तरह तुम्हे जिन्दगी में तीन तरह के लोग मिलेंगे। एक वो जिनसे अगर तुम कुछ कहते हो तो वो एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते है ऐसे लोगो के साथ कोई भी बात तुम शेयर मत करना। एक वो लोग होंगे जो तुम्हारी बातें सुनकर किसी और के सामने जाकर कहेंगे ऐसे में उनसे कोई भी अहम् बात शेयर मत करना और एक वो होंगे जिनसे तुम कोई भी बात कहोगे जिन पर तुम भरोसा कर सकते हो उसी तीसरे गुड्डे की तरह और उनसे तुम किसी भी बात के विषय में सलाह ले सकते हो। ऐसे लोग तुम्हारी ताकत बनेंगे। बस आपको लोगो की सही परख होना आवश्यक है।  

जीवन में जरूरी होता है सही और विश्वासपात्र लोगों की परख करना


                    4.सफलता का रहस्य

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या  है?

सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो। वो मिले, फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया।

लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा, लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना।

सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”

लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”

सुकरात ने कहा,”

यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना  चाहते थे  तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है।

दोस्तों, जब आप सिर्फ और सिर्फ एक चीज चाहते  हैं तो more often than not…वो चीज आपको मिल जाती है. जैसे छोटे बच्चों को देख लीजिये वे न past में जीते हैं न future में, वे हमेशा present में जीते हैं…और जब उन्हें खेलने के लिए कोई खिलौना चाहिए होता है या खाने के लिए कोई टॉफ़ी चाहिए होती है…तो उनका पूरा ध्यान, उनकी पूरी शक्ति बस उसी एक चीज को पाने में लग जाती है and as a result वे उस चीज को पा लेते हैं l

इसलिए सफलता पाने के लिए FOCUS बहुत ज़रूरी है, सफलता को पाने की जो चाहता है उसमे intensity होना बहुत ज़रूरी है..और जब आप वो फोकस और वो इंटेंसिटी पा लेते हैं तो सफलता आपको मिल ही जाती है l

 

                      5. विश्वास की शक्ति

इंग्लैंड के एक पादरी का विश्वाश की अध्यात्मिक शक्ति में अटल भरोसा था। जो कोई भी उनके घर में एक बार आ जाता वो उनके आथित्य और सत्कार के प्रभाव से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। उनके मन में लोगो के लिए अथाह प्रेमभाव था इसलिए लोग उनका बहुत सम्मान भी करते थे।  एक दिन जेल से भागा हुआ चोर रात में शरण लेने के लिए इधर उधर घूम रहा था।

उसने देखा कि पादरी के घर का दरवाजा खुला हुआ है इसलिए वो उस और चला गया और पादरी के घर में प्रवेश कर गया। पादरी ने उसे देखते ही उसका अभिवादन किया और उस से कहा ” तुम्हारा मेरे इस घर में स्वागत है मेरे भाई लेकिन तुम ये बताओ तुम कौन हो और यंहा क्या करने आये हो इस पर चोर ने सफेद झूट बोलते हुए कहा ” फादर मैं एक मुसाफिर हूँ और रास्ता भटक गया हूँ सो इधर उधर भटक रहा था और आपके घर का दरवाजा खुला हुआ देखा तो इस और चला आया। क्या मुझे सिर छुपाने के लिए जगह मिल सकती है मैं सुबह होते ही यंहा से चला जाऊंगा।”

पादरी ने उस से कहा ” हाँ क्यों नहीं तुम यंहा आराम से रह सकते हो और मुझे लगता है तुम बहुत थक गये हो इसलिए तुम जाकर आराम से हाथ मुहं धो लो मैं तुम्हारे सोने और खाने का प्रबंध करता हूँ।” इस पर चोर पादरी का आभार व्यक्त करते हुए स्नानघर की और बढ़ गया और  इतने में पादरी ने उसके खाने और सोने की व्यवस्था कर दी। पादरी ने उसका बहुत अच्छे से आथित्य सत्कार किया और उसे अच्छा भोजन करवाकर उसके सोने की व्यवस्था कर दी।

रात को सभी के सो जाने के बाद चोर के मन में चोरी की ईच्छा जागृत हुई और उसने पादरी के घर से सोने के दो दीपदान चुराकर वंहा से निकल भागा। रात में पुलिस उसकी तलाश में ही थी सो वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया तो पूछताछ में उसने बता दिया कि मैंने ये पादरी के घर से चुराए है इस पर उसे पादरी के सामने लाया गया तो पादरी ने पुलिस वालों से कहा “आप कृपया इन्हें छोड़ दीजिये ये मेरे घर में मेहमान के तौर पर आये थे और मैंने ये दीपदान इन्हें उपहार के तौर पर दिए है।” इतने में चोर के ज्ञानचक्षु खुल गये और उसे अपनी भूल का अहसास होने लगा।

पादरी की उदारता देखते हुए चोर के मन में पश्चाताप होने लगा और उसने माफ़ी मांग कर कभी फिर से चोरी नहीं करने का वचन दिया ।

 

           6.नामुमकिन कुछ भी नहीं है

विल्मा रुडोल्फ का जन्म अमेरिका के टेनेसी प्रान्त के एक गरीब घर में हुआ था। चार साल की उम्र में विल्मा रूडोल्फ को पोलियो हो गया और वह विकलांग हो गई। विल्मा रूडोल्फ केलिपर्स के सहारे चलती थी। डाक्टरों ने हार मान ली और कह दिया कि वह कभी भी जमीन पर चल नहीं पायेगी।

विल्मा रूडोल्फ की मां सकारात्मक मनोवृत्ति महिला थी और उन्होंने विल्मा को प्रेरित किया और कहा कि तुम कुछ भी कर सकती हो इस संसार में नामुनकिन कुछ भी नहीं|

विल्मा ने अपनी माँ से कहा ‘‘क्या मैं दुनिया की सबसे तेज धावक बन सकती हूं ?’’

माँ ने विल्मा से कहा कि ईश्वर पर विश्वास, मेहनत और लगन से तुम जो चाहो वह प्राप्त कर सकती हो।

नौ साल की उम्र में उसने जिद करके अपने ब्रेस निकलवा दिए और चलना प्रारम्भ किया। केलिपर्स उतार देने के बाद चलने के प्रयास में वह कई बार चोटिल हुयी एंव दर्द सहन करती रही लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी एंव लगातार कोशिश करती गयी| आखिर में जीत उसी की हुयी और एक-दो वर्ष बाद वह बिना किसी सहारे के चलने में कामयाब हो गई।

उसने 13 वर्ष की उम्र में अपनी पहली दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और सबसे अंतिम स्थान पर आई। लेकिन उसने हार नहीं मानी और और लगातार दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती गयी| कई बार हारने के बावजूद वह पीछे नहीं हटी और कोशिश करती गयी। और आखिरकार एक ऐसा दिन भी आया जब उसने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया।

15 वर्ष की अवस्था में उसने टेनेसी राज्य विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ उसे कोच एड टेम्पल मिले| विल्मा ने टेम्पल को अपनी इच्छा बताई और कहा कि वह सबसे तेज धाविका बनना चाहती है। कोच ने उससे कहा – ‘‘तुम्हारी इसी इच्छाशक्ति की वजह से कोई भी तुम्हे रोक नहीं सकता और मैं इसमें तुम्हारी मदद करूँगा” ।

विल्मा ने लगातार कड़ी मेहनत की एंव आख़िरकार उसे ओलम्पिक में भाग लेने का मौका मिल ही गया| विल्मा का सामना एक ऐसी धाविका (जुत्ता हेन) से हुआ जिसे अभी तक कोई नहीं हरा सका था।

पहली रेस 100 मीटर की थी जिसमे विल्मा ने जुता को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया एंव दूसरी रेस (200 मीटर) में भी विल्मा के सामने जुता ही थी इसमें भी विल्मा ने जुता को हरा दिया और दूसरा स्वर्ण पदक जीत लिया।

तीसरी दौड़ 400 मीटर की रिले रेस थी और विल्मा का मुकाबला एक बार फिर जुत्ता से ही था। रिले में रेस का आखिरी हिस्सा टीम का सबसे तेज एथलीट ही दौड़ता है। विल्मा की टीम के तीन लोग रिले रेस के शुरूआती तीन हिस्से में दौड़े और आसानी से बेटन बदली।

जब विल्मा के दौड़ने की बारी आई, उससे बेटन छूट गयी। लेकिन विल्मा ने देख लिया कि दुसरे छोर पर जुत्ता हेन तेजी से दौड़ी चली आ रही है। विल्मा ने गिरी हुई बेटन उठायी और मशीन की तरह तेजी से दौड़ी तथा जुत्ता को तीसरी बार भी हराया और अपना तीसरा गोल्ड मेडल जीता।

इस तरह एक विकलांग महिला (जिसे डॉक्टरों ने कह दिया था कि वह कभी चल नहीं पायेगी) विश्व की सबसे तेज धाविका बन गयी और यह साबित कर दिया की

 इस दुनिया में नामुनकिन कुछ भी नहीं (Nothing is impossible)|

          7. आप हाथी नहीं इंसान है

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया। उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं। ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे l

उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?

तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें l बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों को नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते l”

आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!

इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं l

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है, और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है।

यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं l

 

           

 

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