दो कहानी ज्ञान की||motivational kahaniya hindi
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किसान और बैल की कहानी
"भोजन मुक्त में नहीं मिलता"
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एक राजा ने अपने सलाहकारों को बुला कर उनसे बीते इतिहास की सारी समझदारी भरी बाते लिखने के लिए कहा, ताकि वह उन्हें आने वाली पीढ़ी तक पहुंचा सके। उन्होंने काफी मेहनत करें समझदारी भरी बातों पर कई किताबें लिखीं,और उन्हें राजा के सामने पेश किया।
राजा को वे किताबे काफी भारी - भरकम लगी। उसने सलाहकारों से कहा कि लोग इन्हें पढ़ नहीं पाएंगे, इसलिए इन्हे छोटा करो। सलाहकारों ने फिर काम किया, और केवल एक किताब लेकर आए।राजा को वह भी काफी मुश्किल लगी। सलाहकारों ने उसे और छोटा किया। इस बार वे केवल एक अध्याय ले कर आए।राजा को वह भी काफी लंबा लगा। आखिरकार वे राजा के पास केवल एक वाक्य ले कर आए और राजा उससे संतुष्ट हो गया।
राजा ने कहा कि अगर उसे आने वाली पीढ़ियों तक समझदारी का केवल एक वाक्य पहुंचाना हो तो वह यह वाक्य होगा,"भोजन मुक्त में नहीं मिलता"।
"चिड़िया और किसान"
एक बार एक लार्क चिड़िया जंगल में गाना गा रही थी। तभी,एक किसान उसके पास से गुजर रहा था और उसके हाथ में एक संदूक था, संदूक कीड़ों से भरा था। चिड़िया ने उसको करो कर पूछा, " तुम्हारे संदूक में क्या है, और तुम कहा जा रहे हो ?" किसान ने जवाब दिया कि उसके संदूक में कीड़े है और वह बाजार जा रहा है और वहां से कीड़ों के बदले पंख खरीद कर लाऊंगा। चिड़िया ने कहा,"पंख तो मेरे पास भी है। मै अपना एक पंख तोड़ कर तुमको दे दूंगी और तुम ये कीड़े मुझे दे दो, जिससे मुझे कीड़े तलाशने नहीं पड़ेंगे।" किसान ने चिड़िया को कीड़े दे दिए और चिड़िया ने उसके बदले एक पंख तोड़ कर दे दिया। उसके बाद रोज ये सिलसिला चलता रहा। एक दिन ऐसा आया कि चिड़िया के पास पंख ख़तम हो गए। वह उड़ कर भी कीड़े तलाश नहीं सकती थी, क्योंकि उसके पास उड़ने के लिए पंख नहीं थे। अब चिड़िया भद्दी दिखने लगी और गाना भी छोड़ दिया और जल्दी ही वह मर गई।।
"यही बात हमारी जिंदगी के लिए भी सच है। कई बार हमे जो रास्ता आसान लगता है, वही बाद में मुश्किल साबित होता है।"
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