motivational story in hindi

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पढ़े:-  किसान और बादल  की कहानी

             आपका का लक्ष्य क्या है

Story on target


   "जीवन के रास्तों पर चलते हुए अपनी आंखे अपने लक्ष्य पर जमाए रहे।आम पर ध्यान दे, गुढ़ली पर नहीं।"

प्राचीन भारत में एक ऋषि अपने शिष्यों को तीरंदाजी की कला सिखा रहे थे। उन्होंने लक्ष्य के रूप में एक लकड़ी की चिड़िया रखी, और अपने शिष्यों से उस चिड़िया की आंख पर निशाना लगाने को कहा। उन्होंने पहले शिष्य से पूछा," तुम्हे क्या दिख रहा है" शिष्य ने कहा "मै पेड़, टहनियां, पत्ते,आकाश, चिड़िया और उसकी आंख देख रहा हूं।"


      ऋषि ने उच्च को इंतजार करने को कहा। तब उन्होंने दूसरे शिष्य से वही सवाल किया, तो दूसरी शिष्य ने जवाब दिया,"मुझे सिर्फ चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है।" तब ऋषि ने कहा,"बहुत अच्छा अब तीर चलाओ।"तीर सीधा जाकर चिड़िया की आंख में लगा।

ज्ञान आपको मंजिल तक पहुंचने में मदद करता है, बशर्ते कि आपको अपनी मंजिल का पता हो।

      आपका पेश करने का तरीका

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एक नाविक तीन साल से एक ही जहाज पर काम कर रहा था। एक रात वह नशे में धुत हो गया। ऐसी पहली बार हुआ था । कैप्टन ने  इस घटना को रजिस्टर में इस तरह दर्ज किया,"नाविक आज रात नशे मै धुत था।" नाविक ने यह बात पढ़ ली। वह जानता था कि इस एक वाक्य से नोकरी पर असर पड़ेगा, इसलिए वह कैप्टन पे पास गया,माफी मांगी और कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी लिखा है, उसमे यह भी जोड़ दे की ऐसा तीन साल में पहली बार हुआ है,क्योंकि पूरी सच्चाई यही है। कैप्टन ने मना कर दिया और कहा,"मैंने जो  कुछ भी रजिस्टर में दर्ज किया, वहीं असली सच है।"


    अगले दिन रजिस्टर भरने की बारी नाविक की थी। उसने लिखा"आज की रात कैप्टन ने शराब नहीं पी" कैप्टन ने इस पढ़ा, और नाविक से कहा कि इस वाक्य को वह या तो बदल दे अथवा पूरी बात लिखने के लिए आगे कुछ और लिखे क्योंकि जो लिख गया था, उससे जाहिर होता था कि कैप्टन हर रात शराब पीता था। नाविक ने कैप्टन से कहा कि उसने जो कुछ भी रजिस्टर में लिखा , वहीं सच है।
   दोनों बातें सही थी,लेकिन दोनों से जो सन्देश मिलता है,वह एकदम भटकाने वाला है, और उसमे सच्चाई की झलक नहीं है।।
  
सिख:- कभी भी आधे - अधूरे और गलत ढ़ंग से पेश किए गए सच से बचे।।

मन में मैल न रखें (Avoid Bearing Grudges)

Aviod Bearing Grudges story


जिम और जेरी बचपन के दोस्त थे, मगर किसी कारण से उनकी दोस्ती में दरार पड़ गई। वे 25 साल तक एक - दूसरे से नहीं बोले। जेरी मृत्युशय्या पर पड़ा था और दिल पर बोझ लेकर मरना नहीं चाहता था। इसलिए उसने जिम को बुलवाया और माफी मांगते हुए कहा,"हम एक - दूसरे को माफ कर दे और पिछली बातों को भूल जाए।" जिम को भी यह बात अच्छी लगी। एक दिन उसने जेरी से अस्पताल जाकर भेंट करने का फैसला किया।
      उन्होंने बीते पिछले 25 सालो को याद किया,अपने मतभेदों को भुलाया और कुछ घंटे साथ गुजारे। जब जिम जाने वाला था, जेरी पीछे से चिल्ला कर बोला," जिम , अगर मै नहीं मरा तो याद रखना,यह माफी मानी नहीं जाएगी। द्वेष भाव रखने के लिए जीवन बहुत छोटा है। द्वेष रखना व्यर्थ।।

"मुंह से निकले शब्द वापस नहीं लिए जा सकते"

The words that come out of the mouth do not come back.



एक किसान ने अपने पड़ोसी कि निंदा की। अपनी गलती का अहसास होने पर वह पादरी के पास माफी मांगने गया। पादरी ने उससे कहा कि वह पंख से भरा एक थैला शहर के बीचोबीच बिखेर दे। किसान ने भी किया, फिर पादरी ने कहा कि जाओ और सभी पंख थैले में भर लाओ। किसान ने ऐसा करने कि बहुत कोशिश की,मगर सारे पंख हवा से इधर - उधर उड़ गए थे। जब वह खाली थैला लेकर लौटा, तो पादरी ने खंकी यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। तुमने बात तो आसानी से कह दी,लेकिन उसे वापस नहीं ले सकते, इसलिए शब्दों के चुनाव में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।।

       "सबकी जीत के बारे में सोचें"

As much as today if not tomorrow


        एक आदमी के मरने के बाद सेंट पिटर ने उससे पूछा कि तुम स्वर्ग में जाना चाहोगे या नरक में। उस आदमी ने पूछा कि फैसला करने से पहले क्या मै दोनों जगहों पर जा कर देख सकता हूं। सेंट पीटर पहले उसे नरक में ले गए, वहा उसने एक बहुत बड़ा हॉल देखा, जिसमें एक बड़ी मेज पर तरह - तरह की खाने की चीजें रखी थी, उसने पीले और उदास चेहरे वाले लोगों की कतार भी देखी। वह बहुत दुखी जान पढ़ रहे थे ,और वहां कोई हंसी खुशी  भी  नहीं थी।उसने एक ओर बात पर गौर  किया कि उनके हाथों से 4 फुट लंबे कांटे और छुरिया बांधी थी। जिसे वे मेज पर पड़े खाने को खाने की कोशिश कर रहे थे। मगर भी खा नहीं पा रहे थे।
       फिर से आदमी स्वर्ग देखने गया वहां भी एक बड़े हॉल में एक बड़ी मेज पर बहुत सारा खाना लगा था । उसने मेज की दोनों तरफ लोगों की लंबी कतार देखी, जिनके हाथों में 4 फुट लंबी छुरी और कांटे बंधे हुए थे। यह लोग खाना लेकर मेज की दूसरी तरफ से एक दूसरे को खाना खिला रहे थे। इसका नतीजा था, खुशहाली समृद्धि आनंद और संतुष्टि। वे लोग सिर्फ अपने बारे में नहीं सोच रहे थे , बल्कि सब की जीत के बारे में सोच रहे थे, यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती हैं । जब हम अपने ग्राहकों को,अपने परिवार ,अपने मालिक, अपने कर्मचारियों, की सेवा करते हैं। तो हमें जीत खुद ब खुद मिल जाती है।

सिख:- दूसरो के लिए करो अपना तो खुद ब खुद हो जाएगा।


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