अकबर बीरबल की कहानियां

             गुठलियां भी न छोड़ी



एक बार बादशाह अपनी बेगम साहिबा के साथ बैठे आम खा रहे थे। बीरबल भी उसी वक्त में मौजूद थे। बादशाह आम चूसते  जाते वह गुठलियों एवं छिलके चुपचाप बेगम के आगे बढ़े छिलके में मिलाते जाती। दो- चार गुठलियां अपने पास भी रख लेते,जिससे चलिका का पता किसी को नहीं चले। बेगम ने बादशाह को ऐसा करते देख लिया था, पर वे कुछ बोली नहीं और वह आम चूसती रही।  कुछ देर बाद बादशाह बीरबल से बोले" देखो , मैने तो दो चार आम  खाए लेकिन बेगम ने बहुत सारे आम खा कर गुठलियां और छिलके जमा कर लिए है। यह सब सुन कर बेगम ने अपना सिर शर्म से झुका लिया,वे कुछ नहीं बोली।ऐसे वक्त पर बीरबल कहा मौका छोड़ने वाले थे, तपाक से बोले, आम की गुठली  बेगम ने बहुत साहिबा की तरफ ज्यादा होने से पता चलता है कि वह बड़ी खाऊ है ,लेकिन आपने तो गुठलिया तक नहीं छोड़ी ,उन्हें भी खा गए ।अब किसे कहूं कि एक दूसरे से बड़ा खाऊ कौन है? यह सुनकर बादशाह बोले ,बेगम का पक्ष ले रहे हो।"बीरबल ने उत्तर दिया- मै सत्य का पक्ष ले रहा हूं। "इतना कहकर बीरबल ने छिलकों में छुपी गुठलियां दिखाई। यह देखकर बेगम खिलखिला उठी और बादशाह अकबर झेप गए।।

                     ऊंट की टेडी गर्दन


एक बार बादशाह अकबर ने खुश होकर बीरबल को जागीर देने का वादा किया था। बादशाह ने यह बात रोब में कह तो दी लेकिन जागीर देने की बात आई तो वह अपनी बात भूल गई एक -दो बार बीरबल ने भी  मजाक मजाक में उन्हें याद भी दिला दिया, लेकिन बादशाह बीरबल की बात को हमेशा टाल कर दूसरी बात करने लगे थे, बीरबल कहां मानने वाले थे। वह तो बस मौके की तलाश में थे, कुछ दिन बाद बादशाह और बीरबल कहीं जा रहे थे ।रास्ते में उन्हें एक ऊंट बैठा दिखाई दिया । ऊंट को  देखकर बादशाह अकबर को एक सवाल सूझा ।उन्होंने बीरबल से पूछा," ऊंट की गर्दन टेढ़ी क्यों होती है?" बीरबल ने फौरन जवाब में जवाब दिया," आलम पनाह क्योंकि इसने भी पिछले जन्म में जागीर देने का वादा करके समय आने पर गर्दन फेर ली होगी।" बादशाह यह सुनकर बेहद शर्मिंदा हुए और अपने वादे को याद कर उसी वक्त जाकिर बीरबल को दे दी।

                           बकरी की देखभाल

एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल को एक बकरी दी और कहा, इसे जितनी खुराक दी जाती है ,उसकी दुगनी खुराक देनी शुरू कर दो और जब मैं 8 दिन बाद इसका वजन करूं तो इसके वजन में कोई फर्क नहीं होना चाहिए ।"बीरबल बकरी को अपने साथ लेकर चले गए और बादशाह की हुकुम के मुताबिक उसे दुगनी खुराक देनी शुरू कर दी । रात के वक्त वह एक कसाई को उसके  हाथ में छुरी देकर बकरों के सामने बैठा दिया करते थे। बकरी दिन भर में जितनी भी खुराक खाती, रात को कसाई के हाथ में छुरी देखकर बकरी की हालत खराब हो जाती थी और दिन भर की खुराक बराबर हो जाया करती थी। आठ दिन बाद जब बादशाह अकबर के सामने बकरी को लाया गया। तो बकरी के भजन में कोई फर्क नहीं आया था। बादशाह ने हैरान होकर इस राज को बीरबल से पूछा तो बीरबल ने अपनी सारी बात ,जो कसाई की छुरी दिखाने वाली थी, बादशाह को बता दी कि किस तरह बकरी का वजन बराबर ही रहा बादशाह अकबर बीरबल की इस चतुराई से बेहद प्रसन्न हुए।




टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट