Top 4 Great people of the world.

✓कौन है ये महान हस्तियां ?

आइए दोस्तों अब हम जानते हैं।क्योंकि इनके बारे में पढ़ने से हमें कुछ सीखने को मिलेगा। तो दोस्तो ज्यादा देर ना करे और चलते है। कुछ महान हस्तियों के बारे में जाने।

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पढ़े:- भारत के महान नायक"डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में।

स्टीवन पॉल जॉब्स

स्टीवन पॉल जॉब्स


कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल जगत में स्टीव जॉब्स एक ऐसा नाम जिसने सफलता की हर बुलन्दियो को छुआ अगर स्टीव जॉब्स के खोजो के कारण इन्हें आविष्कारक कहा जाय तो ये गलत नही होगा पढाई के दौरान दोस्त के कमरे पर फर्श पर सोकर जीवन की शुरुआत करने वाले स्टीव जॉब्स का जीवन काफी संघर्षमय रहा तो आईये जानते है


प्रारंभिक जीवन Early Life

स्टीव जॉब्स का जन्म कैलिफ़ोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में 24 फ़रवरी 1955 में हुआ था। उनकी शुरूआती पढ़ाई कैलिफ़ोर्निया में हुई। उनके पिता का नाम पॉल जॉब्स था, जो कि एक बढ़ई और मैकेनिक थे। माँ का नाम क्लारा था। जो कि एक अकाउंटेंट थी। वह जॉब्स को पढ़ाया करती थी। जॉब्स ने अपने पिता से इलेक्ट्रोनिक का सारा काम सीखा। 1972 में स्टीव ने कैलिफ़ोर्निया के रीड कॉलेज में अपना नाम लिखवाया पर पैसे की कमी के कारण वह अपनी पढ़ाई आगे पूरी नहीं कर पाये इस कारण उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी और फिर उन्होंने एक रचनात्मक कक्षा में दाखिला लिया। वहां पर सुलेख सिखाया जाता था।

जॉब्स का शुरुआती जीवन बहुत ही संघर्षमय था। वे अपनी पढ़ाई करने के लिए अपने एक अच्छे दोस्त के यहाँ रहते थे और वही जमीन पर वह सोते थे क्योंकि उनके पास कोई हॉस्टल का कमरा तक नहीं था और उनके पास खाना खाने के पैसे भी नहीं होते थे। तब वह कोक की बोतल को वापस करने का काम किया करते थे तथा वह अच्छा भोजन करने के लिए 7 मील चलकर हरे कृष्ण मंदिर जाया करते थे।

व्यवसाय में सफलता Occupation and Business Success

उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत खुद अपने पिता के गैरेज से की। जिसे हम सब आज एप्पल के नाम से जानते है। स्टीव की कड़ी मेहनत और लगन से उनकी कंपनी 2 बिलियन डॉलर के फायदे के साथ 4000 कर्मचारी की एक कंपनी बन गई और इसत रह एप्पल के पर्सनल कंप्यूटर बाजार में आये। एप्पल कंप्यूटर ने तेज़ी से पूरे बाजार पर कब्ज़ा कर लिया।

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एप्पल कंपनी लोगों की पसंद बन गई और लाभ कमाती गयी और इस तरह यह एक साल के अंत में ही पर्सनल कंप्यूटर बनाने वाली  एक दूसरी बड़ी कंपनी बन गयी। एप्पल इतनी बड़ी मात्रा में पर्सनल कंप्यूटर का उत्पादन करने वाली पहली सबसे बड़ी कंपनी थी। जॉब्स रातों रात ही सफलता के कदम चूमते गये और एप्पल के कंप्यूटर पुरे विश्व में मशहूर हो गए। उसके बाद उन्होंने एप्पल 2 को प्रस्तुत किया। जो कि कई रंगों को उपयोग करने वाली प्रणाली थी। उस समय एप्पल ने लोगों के दिलों में जगह बना ली थी।

 

कंपनी की सफलता के लिए उन्होंने एक आदमी को कंपनी में रखा बाद में उसके साथ उनके मतभेद हो गये तब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने और सभी ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें उनकी कंपनी से निकाल दिया गया।

उनको एक बार फिर से नया मुकाम पाने में काफी समय लगा पर फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अगले 5 साल तक संघर्ष करने के बाद उन्होंने एक नई कंपनी नेक्स्ट और पिक्सर की शुरुआत की। 1955 में पिक्सर ने दुनिया में पहली बार एनिमेटेड फ़िल्म “टॉय स्टोरी” बनाई।

फिर कुछ दिनों बाद एप्पल ने नेक्स्ट को भी खरीद लिया और जॉब्स स्टीव एक बार फिर से एप्पल में काम करने लगे और एप्पल आज नेक्स्ट की सारी तकनीक उपयोग कर रही है। 1997 में स्टीव ने एक नये विचार के साथ कंप्यूटर का उत्पादन करना  शुरू किया जिसे “Think Different” के नाम से जाना गया, बाद में उन्होंने एप्पल के विभिन्न प्रोडक्ट्स जैसे iMac, Apple Stores, iTunes, iTunes Store iPhone, App Store, और iPad आदि का निर्माण किया।

2001 में एप्पल iPod का निर्माण किया गया। सन 2007 में एप्पल कंपनी ने iPhone नाम के मोबाइल फ़ोन का निर्माण किया, जो कि लोगों को बहुत पसंद आये और सफल भी रहे। आज के दुनिया में भी iPhone एक बहुत बड़ा ब्रांड कहलाता है। उनके पास पिक्सर एनिमेशन के शेयर थे। पिक्सर उनकी ही संपत्ति है। जॉब्स 1970 से 1980 के कंप्यूटर क्रांति के जनक कहलाते थे।

 

निजी जीवन Personal Life

सन् 1991 में जॉब्स की शादी हुई उनकी पत्नी का नाम लौरेन पावेल था और उनके 3 बच्चे है। उनके 1978 में उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ जिसका नाम था लीज़ा ब्रेनन जॉब्स है। सन् 1991 में उनके लड़के का जन्म हुआ उसका नाम उन्होंने रीड रखा। सन् 1994 में उनकी बड़ी बेटी का जन्म हुआ बेटी का नाम एरिन है और सन् 1998 में उनकी छोटी बेटी ईव का जन्म हुआ। स्टीव जॉब्स की एक बहन है, उनका नाम मोना सिम्प्सन है।

जॉब्स संगीतकार  दि बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उनसे बहुत ज्यादा प्रेरित भी हुए। स्टीव 7 महीने तक भारत में रहे उन्होंने भारत की यात्रा करके अध्यात्म का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया और बाद में अमेरिका लौट गये। वहां जाकर उन्होंने बोद्ध धर्म को अपनाया और अपना सिर भी मुंडा लिया और वह भारतीयों की तरह कपड़े भी पहनने लगे।

पुरुस्कार Awards

  • टाइम मैगज़ीन के द्वारा 1982 में उन्हें उनकी कंपनी एप्पल कंप्यूटर के लिए “मशीन ऑफ द इयर” का पुरुस्कार दिया गया।
  • स्टीव को “कैलिफ़ोर्निया हाल ऑफ फेम” से पुरुस्कृत किया गया।
  • अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा उन्हें “नेशनल मैडल ऑफ टेक्नोलॉजी” के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

मृत्यु Death

सन 2003 को उनको पेनक्रियाटिक कैंसर की बिमारी हो गई और अक्टूबर 2011 को उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने अपने साथ काम करने वाले स्टीव वोज्निक के सहयोग से एप्पल कंपनी की स्थापना की। उनकी मृत्यु के कुछ समय बाद ही लेखक वाल्टर इसाकसन  ने उनके बारे में कुछ बातें बताई कि वह एक ‘रचनात्मक उद्योगपति’ थे। वह जुनून के साथ अपने काम को पूरा करते थे और उन्होंने पर्सनल कंप्यूटर, एनिमेटेड मूवी, म्यूजिक, फ़ोन, टेबलेट, कंप्यूटर आदि बनाने में अपना भरषक योगदान दिया।

स्टीव जॉब्स के प्रेरणादायक कथन Few Inspirational Quotes by Steve Jobs in Hindi

  1. हमें कल की चिंता में अपना आज कभी भी ख़राब नहीं करना चहिये।
  2. यदि आपकी नजर हमेशा लाभ पर रहेगी तो उत्पाद की गुणवत्ता पर आपका ध्यान नहीं रह पायेगा।
  3. अगर आप अपना पूरा ध्यान उत्पाद की गुणवत्ता पर लगा देंगें तो सफलता आपके कदमों को चूमेगी।
  4. अगर आप महान कार्य करना चाहते है तो आप हमेशा अपने काम को प्यार करें।
  5. मौत ही जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है।


सुंदर पिचाई

सुंदर पिचाई


गूगल नें 10 अगस्त,2015 को पूरी दुनिया को अचम्भे मैं डाल दिया जब उसने अपने कंपनी का CEO सुंदर पिचाई को घोषित किया। वैसे तो यह भारत के लोगों के लिए बहुत ही गर्व की बात थी कि एक भारतीय व्यक्ति को दुनिया के सबसे बड़ी कंपनी Google के CEO के रूप में चुना गया है।

यह बात सुनने मैं तो बहुत आसान लगता है कि सुंदर पिचाई Google जैसी बड़ी कंपनी के CEO हैं पर बहुत कम लोग ही हैं जो जानते हैं इस कमियाबी के पीछे कितनी मेहनत और संगर्ष है।

क्या आपको सुंदर पिचाई की प्रेरणादायक कहानी के बारे में पता है?

क्या आपने सुंदर पिचाई की गूगल प्रोडक्ट मेनेजर से सीईओ बनने की कहानी सुनी है?

अगर नहीं ! तो नीचे उनकी पूरी जीवनी पर कर आप जान सकते हैं। आज के दिन में सुंदर पिचाई को दुनिया भर में जाना जाता है उनके इस तरकी के लिए।

 

प्रारंभिक जीवन और बचपन Early Life

सुंदर पिचाई का पूरा नाम पिचाई सुंदरराजन (Pichai Sundararajan) है जिनका जन्म 12जुलाई,1972 को मदुरै, तमिलनाडु (Madurai, Tamil Nadu) में हुआ। उनका जन्म निम्न मध्यम वर्ग के एक परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इलेक्ट्रिकल इंजिनियर थे इसलिए वे चेन्नई शहर में अशोक नगर में रहते थे। उनके पिता से वे हमेशा प्रेरित होते थे और इसी लिए उन्हें भी टेक्नोलॉजी से जुड़ने की प्रेरणा मिली। उनकी माँ का नाम लक्ष्मी था। वो एक स्टेनोग्राफर थी। उन्होंने अपना स्टेनोग्राफर का काम सुंदर पिचाई के छोटे भाई के जन्म के बाद छोड़ दिया।

जब सुंदर पिचाई 12 साल के थे तो उनके पिताजी घर में एक लैंड लाइन फोन घर लेकर आये। उनके जीवन में यह पहला टेक्नोलॉजी से जुड़ा चीज था जो सुंदर जो पिचाई के घर में आया था। सुंदर पिचाई में बहुत ही स्पेशल क्वालिटी/असाधारण ज्ञान था। वो आसानी से अपने टेलीफोन में डायल किये गए सभी नुबरों को याद रख लिया करते थे। सिर्फ फ़ोन नंबर ही नहीं उन्हें हर प्रकार के नंबर आसानी से याद रह जाते थे। पढाई के साथ-साथ वे खेल में भी अच्छे थे। वो अपने स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे।

शिक्षा Study

सुंदर पिचाई नें अशोक नगर के जवाहर विद्यालय में अपनी 10वीं कि पढाई पूरी की और चेन्नई के वाना वाणी स्कूल में अपनी 12 वीं की परीक्षा पूरी की। उसके बाद उन्होंने Metallurgical Engineering में IIT खरगपूर में ग्रेजुएशन पूरी की।

उसके बाद उन्होंने Stanford University में भौतिक विज्ञान में, MS (Masters in Science) की डिग्री पूरी कर ली और आखिर में वे MBA की पढाई के लिए Wharton School, University of Pennsylvania चले गए।

सुंदर पिचाई का गूगल से जुड़ने से पहले का करियर Google Career

  • गूगल से जुड़ने से पहले सुंदर पिचाई म्क किन्से एंड कंपनी(McKinsey & Company) में संचालन परामर्श के रूप में काम करते थे।
  • उन्होंने एप्लाइड मैटेरियल्स में इंजीनियरिंग और उत्पाद प्रबंधन के रूप में भी अपने प्रतिभा का योगदान दिया।

सुंदर पिचाई का गूगल से जुड़ने के बाद का जीवन

  • सुंदर पिचाई 2004 में Google से जुड़े। शुरू-शुरू में उन्होंने एक छोटे से टीम के साथ Google Search Tool Bar के ऊपर काम किया। इस Toolbar की मदद से आज के दिन में भी लोग Internet Explorer, Firefox में Google Search कर पा रहे हैं।
  • उन्होंने Google के उत्पाद जैसे Google Gear और Google Pack पर भी काम किया। Google Toolbar के सफल होने के बाद सुंदर पिचाई के मन में एक नया आईडिया आया वो था खुद का इन्टरनेट ब्राउज़र बनाने का। उस समय के Google के CEO एरिक सचमिद्त(Eric Schmidt) नें खुद के इन्टरनेट ब्राउज़र बनाने की बात को बहुत ही महंगा प्रोजेक्ट करार दिया और मना किया।
  • लेकिन उनक मना करने के बाद भी पिचाई ने इस बात को ठान लिया और गूगल के सह-निर्माताओं लार्री पेज और सेर्गे ब्रिन को इस बात के लिए राज़ी कर लिया। वर्ष 2008 में Google ने सुंदर पिचाई की मदद से खुद का वेब ब्राउज़र लांच किये जिसका नाम दिया गया Chrome। Google Chrome बहुत ही अच्छी तरीके से सफल हुआ क्योंकि इससे Google Search लोग Diectly इस्तेमाल कर सकते हैं। आज के दिन में गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाला वेब ब्राउज़र हैं।
  • उसी वर्ष 2008 में सुंदर पिचाई का वाईस प्रेसिडेंट ऑफ़ प्रोडक्ट डेवलपमेंट के रूप में प्रमोशन किया गया। इस पोजीशन पर आते ही सुंदर पिचाई और भी मेहनत करने लगे और 2012 में वो Chrome और Apps के सीनियर वाईस प्रेसिडेंट बन गए।
  • एंड्राइड को बनाने वाले, एंडी रुबिन ने 2013 में किसी दुसरे प्रोजेक्ट के कारण Andoid के प्रोजेक्ट को छोड़ दिया। इसके बाद लार्री पेज नें पिचाई को एंड्राइड का इन-चार्ज बना दिया। बाद अक्टूबर 2014 में उन्हें प्रोडक्ट चीफ बना दिया गया।
  • 10 अगस्त 20फरवरी 2016 में उन्हें Google कि एक कंपनी Alphabet Inc. के 273,328 शेयर्स डे कर सम्मान दिया गया।
  • वे आज भी समय-समय पर Skype के ज़रिये IIT खरगपुर के Students से बातचीत करते हैं
  • 15 को सुंदर पिचाई को गूगल के CEO के रूप में घोषित किया गया।

सुंदर पिचाई का निजी जीवन Personal Life

  • सुंदर पिचाई ने अपने लम्बे समय की गर्लफ्रेंड, अंजलि पिचाई से शादी की है। वो दोनों IIT खरगपूर में साथ में पढाई करते थे। उनके दो सुंदर बच्चे भी हैं एक लड़का और एक लड़की।
  • उन्होंने Brooklyn, New York में $6.8 मिलियन देकर अपने लिए घर खरीदा।
  • वो अब अमेरिका के नागरिक हैं इसीलिए वे अपने परिवार के साथ न्यू यॉर्क में ही रहते हैं।

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बिल गेट्स

बिल गेट्स


बिल गेट्स का परिवार -
बिल गेट्स का वास्तविक तथा पूर्ण नाम विलियम हेनरी गेट्स है। इनका जन्म 28 अक्टूबर, 1955 को वाशिंगटन के सिएटल में हुआ। इनके परिवार में इनके अतिरिक्त चार और सदस्य थे – इनके पिता विलियम एच गेट्स जो कि एक मशहूर वकील थे, इनकी माता मैरी मैक्‍सवेल गेट्स जो प्रथम इंटरस्टेट बैंक सिस्टम और यूनाइटेड वे के निदेशक मंडल कि सदस्य थी तथा इनकी दो बहनें जिनका नाम क्रिस्टी और लिब्बी हैं। बिल गेट्स ने अपने बचपन का भी भरपूर आनंद लिया तथा पढ़ाई के साथ वह खेल कूद में भी सक्रिय रूप से भाग लेते रहे।

बिल गेट्स को किसी परिचय कि आवश्यकता नहीं है, वह पूरी दुनिया में अपने कार्यों से जाने जाते हैं। हम सभी यह भली भांति जानते हैं कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ Software Company “Microsoft” की नींव भी बिल गेट्स के द्वारा ही रखी गयी है।


बिल गेट्स का बचपन -
उनके माता – पिता उनके लिए क़ानून में करियर बनाने का स्वप्न लेकर बैठे थे परन्तु उन्हें बचपन से ही कंप्यूटर विज्ञान तथा उसकी प्रोग्रामिंग भाषाओं में रूचि थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लेकसाइड स्कूल में हुई। जब वह आठवीं कक्षा के छात्र थे तब उनके विद्यालय ने ऐएसआर – 33 दूरटंकण टर्मिनल तथा जनरल इलेक्ट्रिक (जी।ई।) कंप्यूटर पर एक कंप्यूटर प्रोग्राम खरीदा जिसमें गेट्स ने रूचि दिखाई। तत्पश्चात मात्र तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने अपना पहला कंप्यूटर प्रोग्राम लिखा जिसका नाम “टिक-टैक-टो” (tic-tac-toe) तथा इसका प्रयोग कंप्यूटर से खेल खेलने हेतु किया जाता था। बिल गेट्स इस मशीन से बहुत अधिक प्रभावित थे तथा जानने को उत्सुक थे कि यह सॉफ्टवेयर कोड्स किस प्रकार कार्य करते हैं।

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के प्रति बिल गेट्स की लगन -
इसके पश्चात गेट्स डीईसी (DEC), पीडीपी (PDP), मिनी कंप्यूटर नामक सिस्टमों में दिलचस्पी दिखाते रहे, परन्तु उन्हें कंप्यूटर सेंटर कॉरपोरेशन द्वारा ऑपरेटिंग सिस्टम में हो रही खामियों के लिए 1 महीने तक प्रतिबंधित कर दिया गया। इसी समय के दौरान उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर सीसीसी के सॉफ्टवेयर में हो रही कमियों को दूर कर लोगों को प्रभावित किया तथा उसके पश्चात वह सीसीसी के कार्यालय में निरंतर जाकर विभिन्न प्रोग्रामों के लिए सोर्स कोड का अध्ययन करते रहे और यह सिलसिला 1970 तक चलता रहा। इसके पश्चात इन्फोर्मेशन साइंसेस आइएनसी। लेकसाइड के चार छात्रों को जिनमें बिल गेट्स भी शामिल थे, कंप्यूटर समय एवं रॉयल्टी उपलब्ध कराकर कोबोल (COBOL), पर एक पेरोल प्रोग्राम लिखने के लिए किराए पर रख लिया।

इसके पश्चात उन्हें रोकना नामुमकिन था। मात्र 17 वर्ष कि उम्र में उन्होंने अपने मित्र एलन के साथ मिलकर ट्राफ़- ओ- डाटा नामक एक उपक्रम बनाया जो इंटेल 8008 प्रोसेसर (Intel 8008 Processor) पर आधारित यातायात काउनटर (Traffic Counter) बनाने के लिए प्रयोग में लाया गया।
1973 में वह लेकसाइड स्कूल से पास हुए तथा उसके पश्चात बहु- प्रचलित हारवर्ड कॉलेज में उनका दाखिला हुआ।

 

परन्तु उन्होंने 1975 में ही बिना स्नातक किए वहाँ से विदा ले ली जिसका कारण था उस समय उनके जीवन में दिशा का अभाव। उसके पश्चात उन्होंने Intel 8080 चिप बनाया तथा यह उस समय का व्यक्तिगत कंप्यूटर के अन्दर चलने वाला सबसे वहनयोग्य चिप था, जिसके पश्चात बिल गेट्स को यह एहसास हुआ कि समय द्वारा दिया गया यह सबसे उत्तम अवसर है जब उन्हें अपनी स्वयं कि कंपनी का आरम्भ करना चाहिए।

माइक्रोसॉफ्ट कंपनी का उत्थान -
MITS (Micro Instrumentation and Telemetry Systems) जिन्होंने एक माइक्रो कंप्यूटर का निर्माण किया था, उन्होंने गेट्स को एक प्रदर्शनी में उपस्थित होने कि सहमती दी तथा गेट्स ने उनके लिए अलटेयर एमुलेटर (Emulator) निर्मित किया जो Mini Computer और बाद में इंटरप्रेटर में सक्रिय रूप से कार्य करने लगा। इसके बाद बिल गेट्स व् उनके साथी को MITS के अल्बुकर्क स्थित कार्यालय में काम करने कि अनुमति दी गयी। उन्होंने अपनी जोड़ी का नाम Micro-Soft रखा तथा अपने पहले कार्यालय कि स्थापना अल्बुकर्क में ही की।

 

26 नवम्बर, 1976 को उन्होंने Microsoft का नाम एक व्यापारिक कंपनी के तौर पर पंजीकृत किया। Microsoft Basic कंप्यूटर के चाहने वालों में सबसे अधिक लोकप्रिय हो गया था। 1976 में ही Microsoft MITS से पूर्णत: स्वतंत्र हो गया तथा Gates और Allen ने मिलकर कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग भाषा Software का कार्य जारी रखा।

 

इनसे बाद Microsoft ने अल्बुकर्क में अपना कार्यालय बंद कर बेलेवुए, वाशिंगटन में अपना नया कार्यालय खोला। Microsoft ने उन्नति की ओर बढ़ते हुए प्रारंभिक वर्षों में बहुत मेहनत व् लगन से कार्य किया। गेट्स भी व्यावसायिक विवरण पर भी ध्यान देते थे, कोड लिखने का कार्य भी करते थे तथा अन्य कर्मचारियों द्वारा लिखे गए व् जारी किये गए कोड कि प्रत्येक पंक्ति कि समीक्षा भी वह स्वयं ही करते थे।

 

इसके बाद जानी मानी कंपनी IBM ने Microsoft के साथ काम करने में रूचि दिखाई, उन्होंने Microsoft से अपने पर्सनल कंप्यूटर के लिए बेसिक इंटरप्रेटर बनाने का अनुरोध किया। कई कठिनाइयों से निकलने के बाद गेट्स ने Seattle कंप्यूटर प्रोडक्ट्स के साथ एक समझौता किया जिसके बाद एकीकृत लाइसेंसिंग एजेंट और बाद में 86-DOS के वह पूर्ण आधिकारिक बन गए और बाद में उन्होंने इसे आईबीएम को $80,000 के शुल्क पर PC-DOS के नाम से उपलब्ध कराया। इसके पश्चात Microsoft का उद्योग जगत में बहुत नाम हुआ।

 

1981 में Microsoft को पुनर्गठित कर बिल गेट्स को इसका चेयरमैन व् निदेशक मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद Microsoft ने अपना Microsoft Windows का पहला संस्करण पेश किया। 1975 से लेकर 2006 तक उन्होंने Microsoft के पद पर बहुत ही अदभुत कार्य किया, उन्होंने इस दौरान Microsoft कंपनी के हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।

बिल गेट्स का विवाह व् आगे का जीवन -
1994 में बिल गेट्स का विवाह फ्रांस में रहने वाली Melinda से हुआ तथा 1996 में इन्होंने जेनिफर कैथेराइन गेट्स को जन्म दिया। इसके बाद मेलिंडा तथा बिल गेट्स के दो और बच्चे हुए जिनके नाम रोरी जॉन गेट्स तथा फोएबे अदेले गेट्स हैं। वर्तमान में बिल गेट्स अपने परिवार के साथ वाशिंगटन स्थित मेडिना में उपस्थित अपने सुन्दर घर में रहते हैं, जिसकी कीमत 1250 लाख डॉलर है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन का उदय -
वर्ष 2000 में उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशनकी नींव रखी जो कि पारदर्शिता से संचालित होने वाला विश्व का सबसे बड़ा Charitable फाउंडेशन था। उनका यह फाउंडेशन ऐसी समस्याओं के लिए कोष दान में देता था जो सरकार द्वारा नज़रअंदाज़ कर दी जाती थीं जैसे कि कृषि, कम प्रतिनिधित्व वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लिये कॉलेज छात्रवृत्तियां, एड्स जैसी बीमारियों के निवारण हेतु, इत्यादि।


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परोपकारी कार्य -
सन 2000 में इस फाउंडेशन ने Cambridge University को 210 मिलियन डॉलर गेट्स कैम्ब्रिज छात्रवृत्तियों हेतु दान किये। वर्ष 2000 तक बिल गेट्स ने 29 बिलियन डॉलर केवल परोपकारी कार्यों हेतु दान में दे दिए। लोगों की उनसे बढती हुई उम्मीदों को देखते हुए वर्ष 2006 में उन्होंने यह घोषणा की कि वह अब Microsoft में अंशकालिक रूप से कार्य करेंगे और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में पूर्णकालिक रूप से कार्य करेंगे। वर्ष 2008 में गेट्स ने Microsoft के दैनिक परिचालन प्रबंधन कार्य से पूर्णतया विदा ले ली परन्तु अध्यक्ष और सलाहकार के रूप में वह Microsoft में विद्यमान रहे।



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जैक मा

जैक मा


जैक मा का प्रारंभिक जीवन

जैक मा जन्म 10 सितम्बर, 1964 को चीन के एक छोटे से गाँव हन्ग्ज़्हौ में हुआ था। जैक मा के माता पिता पारंपरिक गाने गा और बजा कर काम किया करते था। जैक मा को बचपन से ही अंग्रेजी सिखने की बहुत इच्छा थी इसलिए वो Hangzhou International Hotel एक साइकिल से जाते थे जहाँ बड़े-बड़े विदेशी नागरिक आते थे।

 

जैक मा अंग्रेजी सिखने के लिए उन लोगों से पहले अपनी टूटी-फूटी अंग्रेजी में बात किया करते थे। चीन में अंग्रेजी भाषा को उतना ज़रूरी नहीं माना जाता था। परन्तु जब जैक मा ने कुछ अच्छी अंग्रेजी बोलना सिख लिया तो उन्होने दुसरे देशों से आपने वाले विदेशी लोगों के लिए एक टूरिस्ट गाइड के रूप में काम किया। ऐसा करते-करते उनका अंग्रेजी बहुत अच्छा हो गया। उन्होंने यह काम लगभग 9 वर्ष तक किया। जैक मा ने Hangzhou Institute of Electronic Engineering में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में भी काम किया था।

 

टूरिस्ट गाइड का काम करते-करते उनका एक अच्छा विदेशी मित्र बना। जैक मा का असली नाम मा यूँ था पर चीनी भाषा में इसे बोलना बहुत ही मुश्किल था इसलिए उस विदेशी मित्र ने उनका नाम जैक मा रख दिया तब से उनको जैक के नाम से जाना आने लगा। उसके बाद जैक माँ ने नौकरी ढूँढना शुरू किया।

जैक मा का संगर्ष

जैक मा 30 से भी ज्यादा नौकरियों के लिए कोशिश किया पर उन्हें हर जगह से बस नाकामी ही मिली। उन्होंने एक बार पुलिस की नौकरी के लिए कोशिश किया पर उन्हें देखते ही मना कर दिया गया। जब पहली बार KFC का Restaurant उनके शहर में पहली बार खुला तो उन्होंने KFC में भी नौकरी के लिए Try किया पर वहां जिन 24 लोग नौकरी के लिए गए थे उनमें से 23 लोगों को नौकरी मिल गयी लेकिन एक मात्र उन्हें नहीं मिली। इससे यह पता चलता है की उनका जीवन कितना संगर्ष पूर्ण था।

 

जैक मा गए अमरीका Jack Ma’s goes first time to USA in 1995

जैक मा ने 1994 में पहली बार इन्टरनेट के विषय में सुना। जैक मा 1995 में अपने दोस्तों की मदद से इन्टरनेट के विषय में जानकारी लेने के लिए अमरीका गए। अमरीका में उन्होंने पहली बार इन्टरनेट देखा और चलाया। उन्होंने इन्टरनेट पर सबसे पहले Bear शब्द को Search किया, वहां उन्हें Bear शब्द के बारे में अन्य-अन्य websites से कई प्रकार की जानकारी मिली। उन्होंने जब अच्छे से ध्यान दिया तो देखा की इन्टरनेट पर चीनी भाषा में इसके विषय में कोई जानकरी नहीं है और इस प्रकार उनके दिमागे में एक आईडिया सुझा।

यहाँ तक की उन्होंने चीन देश के विषय में भी इन्टरनेट पर search किया जिसके विषय में भी internet पर उनको search करने पर ज्यादा कुछ नहीं मिला। अपने देश की जानकारी इन्टरनेट पर न पा कर जैक बहुत दुखी हुए क्योंकि उन्हें लगा की अन्य देशों के मुकाबले टेक्नोलॉजी क्षेत्र में चीन बहुत पीछे है।

जैक मा ने चीन की जानकारी की पहली वेबसाइट बने Jack Ma created first about China Website on Internet

जैक मा और उनके अमरीकी मित्र ने मिलकर चीन की जानकारी से भरा हुआ अपना एक पहला वेबसाइट बनाया वेबसाइट। बनाने के कुछ ही घंटों के अन्दर जैक मा को कुछ चीनी लोगों के ईमेल आने लगे। यह देख कर जैक मा को इन्टरनेट की ताकत का पता चला।

 

उसी वर्ष 1995 में जैक मा उनकी पत्नी और क्कुह दोस्तों ने मिलकर कुछ पैसे जमा किये और एक वेबसाइट बनाने की कंपनी शुरू की थी जिसका नाम उन्होंने रखा China Yellow Pages. इस कंपनी को शुरू करने के लिए सभी दोस्तों ने मिल कर लगभग 20000$ जमा किये थे। इस कंपनी का मुख्य काम था दूसरी कंपनियों के लिए वेबसाइट बनाना। 3 साल के अन्दर उसी कंपनी को 3 लाख $ का मुनाफा हुआ और जैक और उनकी टीम ने उसके बाद चीन की कंपनियों के लिए भी वेबसाइट बनाना शुरू किया।

 

जैक मा का कहना था की जब वे अपने दोस्तों के साथ वेबसाइट का काम करते थे तो उन्हें टीवी और ताश खेलना पड़ता था। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय का इन्टरनेट स्पीड इतना स्लो हुआ करता था की अधा पेज बनाने में 3.5 घंटे लग जाते थे। जैक मा ने अपने 33 वर्ष की आयु में अपना पहला कंप्यूटर ख़रीदा था। 1998-1999 में China International Electronic Commerce Center द्वारा स्थापित एक IT कंपनी में भी काम किया पर उसके बाद वे वहां से काम छोड़ कर अपने 17 दोस्तों की टीम के साथ दोबारा अपने जन्म स्थान Hangzhou लौट आये।

जैक मा ने अलीबाबा ग्रुप की शुरुवात की  Jack Ma Started Alibaba Groups

उसके बाद जैक मा अपने घर बैठे अपने 17 दोस्तों के साथ मिलकर अपना पहला B to B eCommerce वेबसाइट की शुरुवात की थी। जैक मा कहते हैं वो San Fransisco के एक कॉफ़ी शॉप में बैठे थे। वैसे तो अपनी वेबसाइट का नाम वो Alibaba रखने का उनका मन पहले से ही था पर उन्होंने शॉप के एक Waitress से पुछा – क्या तुम अलीबाबा के विषय में जानते हो? तो जवाब आया खुल जा सिम-सिम। उसके बाद उन्होंने कई भारतीय, अमरीकी और अन्य देशों के लोगों से भी वही सवाल पुछा तो उन्होंने अपया कि सभी लोगों को Alibaba के विषय में पता था।  बस उसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी को Alibaba Groups के नाम से शुरू किया।

 

उसके बाद से Alibaba Groups ने पुरे विश्व में अपना नाम बना लिया और 240 देशों से भी ज्यादा देशों में इसका कारोबार शुरू हो गया। सितम्बर 2014 के आंकड़ों के अनुसार Alibaba कंपनी ने New York Stock Exchange के अनुसार 25 Billion $ की कंपनी खड़ी कर दी जो की एक बहुत बड़ी सफलता थी। 10 सितम्बर 2017 Forbes के Report के अनुसार जैक मा 17वें की कुल कमाई 37.6 Billion USD है।2017 के report   के अनुसार आज इस कंपनी में 50000+ लोगकाम कर रहे हैं। Alibaba Groups के सभी सहायक कंपनियां – Alibaba.com, Guangzhou Evergrande Taobao F.C., Taobao, Tmall, UCWeb, AliExpress, Juhuasuan.com, 1688.com, Alimama.com, Ant Financial, Cainiao, Lazada, Youku Tudou, Alibaba Cloud

आज वो हम सब को एक प्रेरणा देते हैं और सिखाते हैं की चाहें जीवन में आपके जितनी भी मुश्कलें या असफलताएं आ जाएँ कभी भी हार नहीं मनना चाहिए क्योंकि बार-बार असफलता झेलने वाले व्यक्ति को ही सफकता मिलती।


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