muskmelon information in hindi/खरबूजा की खेती और मार्गदर्शक

खरबूजे की खेती के बारे में जाने

  ज़ायद की फ़सल
इन फसलों की बोआई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती हैं। ये फसलें सामान्यतः अक्टूबर-नवम्बर के महिनों में बोई जाती हैं।
खरबूजा

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Melon farming

              एक फल है। यह पकने पर हरे से पीले रंग के हो जाते है, हलांकि यह कई रंगों मे उपलब्ध है। मूल रूप से इसके फल लम्बी लताओं में लगते हैं।
प्रमुख उत्पादक राज्य:
                उत्तरपरदेश,महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तमिलनाडू पंजाब
फसल अवधि: बुवाई के 120 दिन बाद
बीज दर: एक किलोग्राम प्रति हैक्टेयर

बिजाई


खरबूजे की बिजाई के लिए फरवरी के पहले सप्ताह से लेकर मार्च का महीना अनुकूल होता है ।

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इस प्रकार करे मक्का(खरीफ)की फसल तैयार

फासला                                                           


बोने वाली किस्म के आधार पर 3 - 4 मीटर के बैड तैयार करें बैड पर दो बीज हर मेंड़ पर बोयें और मेंड़ का फासला 60 सें . मी . होना चाहिए । बीज की गहराई बिजाई के लिए 1 . 5 सें . मी . गहरे बीज बोयें ।

बिजाई का ढंग


इसकी बिजाई गड्ढा खोदकर और दूसरे खेत में पनीरी लगाकर की जा सकती है । पनीरी लगा कर : जनवरी के आखिरी सप्ताह से फरवरी के पहले सप्ताह तक 100 गज की मोटाई वाले 15 सें . मी . x12 सैं . मी . आकार के पॉलीथीन बैग में बीज बोया जा सकता है । पॉलीथीन बैग में गाय का गोबर और मिट्टी को एक जितनी मात्रा में भर लें । पौधे फरवरी के आखिर या मार्च के पहले सप्ताह बिजाई के लिए तैयार हो जाते हैं । 25 30 दिनों के पौधे को उखाड़कर खेत में लगा दें और पौधे खेत में लगाने के तुरंत बाद पहला पानी लगाना चाहिए ।
प्रसिद्द किस्मऔर पैदावार           

  Hara Madhu : यह देरी से पकने वाली किस्म है । इसके फल का आकार गोल और बड़ा होता है । फल का औसतन भार 1 किलोग्राम होता है । छिल्का हल्के पीले रंग का होता है । टी एस एस की मात्रा 13 प्रतिशत होती है और स्वाद में बहुत मीठा होता है । इसका गुद्दा हरे रंग का , मोटा और रसदार होता है । बीज आकार में छोटे होते हैं । यह पत्तों ऊपर धब्बे रोग को सहनेयोग्य होता है । इसकी औसतन पैदावार 50 क्विंटल प्रति एकड़ होती है ।
Durgapur Madhu : यह प्रसिद्ध किस्म इसकी मिठास और सुगंध के तौर पर जानी जाती है । यह किस्म जड़ गलन और पत्तों के ऊपर धब्बा रोग की प्रतिरोधक है ।
RM50 MHY3 MHY5 दूसरे राज्यों की किस्में ArkaJeet Arka rajhans MH 10 Pusa madhurima D . Madhu Madhuras
सिंचाई
         बीजों के जल्दी अंकुरण के लिए बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई करें । बाकी की सिंचाई 5 - 7 दिनों के अंतराल पर करें । फसल पकने के समय तब सिंचाई करें जब आवश्यक हो । जरूरत से ज्यादा पानी नहीं लगाना चाहिए । सिंचाई के समय खरबूजे के फल पर पानी नहीं पड़ना चाहिए । भारी मिट्टी में ज्यादा सिंचाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह पौधे को जरूरत से ज्यादा बढ़ा देता है । ज्यादा मिठास के लिए कटाई से 3 - 6 दिन पहले सिंचाई नहीं करनी चाहिए ।
फसल की कटाई
        हरा मधु किस्म की कटाई उस समय करें जब फल पीले रंग के हो जायें । दूसरी किस्मों की कटाई मंडी की दूरी के अनुसार की जाती है । यदि मंडी की दूरी ज्यादा हो तो जब फल हरे रंग का हो तब ही कटाई कर देनी चाहिए । यदि मंडी नज़दीक हो तो फल आधा पकने पर ही कटाई करनी चाहिए । जब तना थोड़ा सा ढीला सा नज़र आये उसे हाफ स्लिप कहते हैं ।
 

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