नई नई तकनीक से बैंगन की खेती कैसे करें


नई नई तकनीक से बैंगन की खेती कैसे करें
Brinjal farming process,brinjal farming in india
Brinjal farming process

आज भी बड़ी संख्या में कुछ किसान भाई परंपरागत खेती कर रहे हैं। जबकि कई किसान ऐसे हैं जो खेती-किसानी की जानकारियों में अपडेट रहकर कृषि क्षेत्र में नई-नई कामयाबी हासिल कर रहे हैं।

इसलिए इस ब्लॉग https://themodernmind860.blogspot.com/?m=1  का उद्देश्य है की हम किसानो को फसल, पशु-पालन, रोग उपचार, बीज खाद, खेती यंत्र और खेती से जुडी हर तरह की जानकारी से जागरूक करवाएँगे।

ताकि सभी किसान तेजी से मोबाइल के जरिये खेती की जानकारीयां बटोर सके और उसे अपनी खेती में उपयोग कर कम समय में ज्यादा
मुनाफा कमा सके।
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सामान्य परिचय

बैंगन की खेती भारत और चीन में ज्यादा की जाती है। ऊंचे पहाड़ि इलाकों को छोड़कर पुरे देश में इसकी खेती की जा सकती है। क्यों की भारत की जलवायु गर्म होती है और ये began ki kheti के लिए उपयुक्त रहती है।

बैंगन की किस्में

बैंगन की बहुत सारी किस्में होती है। में कुछ विशेष किस्मों के बारे में यहाँ पर बताउगा जो hiybird है। और अच्छा उत्पादन देने वाली होती है।

पूसा hibird 5

इसमे पौधा बड़ा और अच्छी शाखाओं युक्त होता है। ये फसल 80 से 90 दिनों आ जाती है। प्रति हेक्टेयर 450 से 600 क्विंटल होती है।

पूसा hibird 6

गोल फल लगते है। 85 से 90 दिनों की औसत प्रति हेक्टेयर 500 से 600 क्विंटल

पूसा hibird 9

85 से 90 दिनों में फल लगते है। औसत 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

इसके अलावा पूसा क्रांति,पूसा भैरव,पूसा बिंदु,पूसा उत्तम ,पूसा उपकार,पूसा अंकुर, जो की प्रति हेक्टेयर 200 से 400 क्विंटल तक उत्पादन देते है।

कैसे करे नर्सरी तैयार

नर्सरी तैयार करने के लिए खेत की मिट्टी को अच्छे से देसी खाद् (गोबर) को मिट्टी की सतह पर बिखेर कर फिर जुताई करे। (अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करावे ताकि उचित मात्रा में खाद् दे सके) जुताई होने के बाद उठी हुई क्यारियां बना ले फिर एक हेक्टेयर के लिए hibird बीज 400 ग्राम तक काफी होता है। बनी हुई क्यारियों में 1 से.मी. की गहराई में 6 से 7 सेमी. की दूरी पर बीजो को डाल दे। फिर उसे पर्याप्त मात्रा में पानी देते रहे ।

कब करे बुआई

उसे तो इस फसल को पुरे वर्ष में सभी ऋतुओ में लगाया जा सकता है। लेकिन में आपको माह से बता देता है। नर्सरी मई जून में करने पर बुआई 1 या डेढ़ माह में यानि जून या जुलाई तक कर सकते है। जो नर्सरी नवम्बर में लगाते है उसे जनवरी में शीत लहर और पाले का प्रकोप से बचा कर लगा सकते है जो नर्सरी फरवरी और मार्च में लगाते है उसे मार्च लास्ट और अप्रैल तक की जा सकती है।

कैसे करे खेत तैयार

नर्सरी में पौधे तैयार होने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य होता है खेत को तैयार करना । मिट्टी परीक्षण करने के बाद खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली पक्का हुआ गोबर का खाद् बिखेर दे।

उसके बाद 2 बेग यूरिया 3 बेग सिंगल सुपर फास्फेट और पोटेशियम सल्फ़ेट की मात्रा ले कर जुताई करे। फिर खेत में 70 सेमी. की दूरी पर क्यारियां बना लीजिए अब पोधों को 60×60 सेमी. या 60×50 में पोधों की रोपाई करे।

बैंगन की फसल में लगने वाले रोग

नर्सरी में लगने वाले रोग

आद्रगलन(डम्पिंगऑफ़)यह एक कवक है जो पोधों को बहार से निकलने से पूर्व ही ख़त्म कर देता है। और बहार निकलने के बाद भी पोधों को सूखा देता है।

रोपाई के बाद लगने वाले रोग
झुलसा रोग,पत्ता धब्बा रोग,अंग मारी रोग,मलानी रोग,छोटी पत्ती रोग,सुतकर्मि रोग,बैंगन की फसलो में लगते है। जिनका समय समय पर उपचार आवश्यक रूप से करे।


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